चरण सिंहअभिलेखागार

आर्य समाज और कांग्रेस दोनों में सक्रिय, सामाजिक एवं राजनितिक परिवर्तन/बदलाव की गतिविधियाँ साथ-साथ जारी रहीं

१९३०

१९३९ तक गाज़ियाबाद आर्य समाज समिति के पदाधिकारी अध्यक्ष या महासचिव रहे। गांधी जी के नमक सत्याग्रह में पूरी सक्रियता से भागीदारी की, ५ अप्रैल को ६ माह के लिए पहली बार जेल गए। मेरठ डिस्ट्रिक्ट से निर्विरोध चुने गए, जहाँ १९३५ तक कनिष्ठ उपाध्यक्ष तथा अध्यक्ष पद पर रहे।यहीं से गांधी जी की सोच और आदर्शों ने उन्हें और अधिक आकर्षित किया और वह पूर्णतः उनके प्रभाव में आ गये : अहिंसक क्रांति, सामाजिक बदलाव, हरिजनों का उत्थान, सत्याग्रह, वलिदान, आत्म संयम, सादगी एवं खादी। "सत्य ही धर्म है" के नारे को उन्होंने अपने जीवन में उतार लिया, और यहाँ से ईमानदारी, निर्भयता, कड़ी मेहनत तथा वचनबद्धता उनके जीवन की नीव बन गए. उनके लिए दयानंद की सामाजिक परिवर्तन, कबीर का आकारहीन आकर्षण, दोनों गांधी के राजनीतिक क्रांति में सिमट गए

१७ सितम्बर को दूसरी पुत्री वेद वती का जन्म